बात तो सही हैं मेरी हैसियत कहाँ हैं। तुझको खिलाने की मेरी हैसियत कहाँ हैं। मैं तो आज भी खाना हाथो से खाता हूँ। हाथ पकड़ कर खिलाने की मेरी हैसियत कहाँ हैं। तु तो आज भी कपड़े माल से ख़रीदती हैं। मैं बाहर बैठता हूँ, अंदर तक आने की मेरी हैसियत कहाँ हैं। मैं शक्ल से बेशक अच्छा दिखता हूँ। मगर मामला पैसो का है। अक्ल लगाने की मेरी हैसियत कहाँ हैं। तेरे मकान मे कमरे बहुत है। मैं किराये पर ले लू ? पुरा खरीदने की मेरी हैसियत कहाँ हैं। तु बंद दरवाजे मे बहुत खुश रहती हैं। मैं सांस तो ले लू। घुंटकर जीने की मेरी हैसियत कहाँ हैं। #thepoetrystudio follow here for more https://instagram.com/write197?igshid=lcm41pu9bj0b #Nojoto #Shayari #Love #Life #Ripple19 #Hindi #NojotoShayari #Alfaz #Noporo