हे ईश्वर ये कैसा दर्द जो बता नहीं सकते आँसू है पलको पर मगर बहा नहीं सकते तभी बारिश आई थोड़ी मुस्काई तु भोली और नादान बहुत हैं अपना नहीं कोई यहाँ रिस्तों मे पहचान बहुत है आ भीग जा मेरी आगोश में कही तेरे बहते आँसुओ को बुंदो मे छुपा लू कही तु दर्द का समंदर तो बारिश अंबर के आँखो का नीर है शायद यही हम दोनों की तकदीर है #Life #experiencelife