Natural Morning आजादी के बाद भी दुश्मन, कीड़ों की तरह पनप रहे। भारत ही इस मर्ज की दवा, वीर शहादत नहीं सहे। इन बिल के नागों को हम, उन्हीं के बिल में दफनायें। शत्रुओं की छाती पर, हमसब देश तिरंगा लहराएें। माँ के दूध को उजला कर, वो वीर हो गए फिर गुमनाम। मातृभूमि की रक्षा के लिए, वीरों को फिर एक सलाम। सीमा के प्रहरी बनकर, भारत को दृढ़ बनाए। शत्रुओं की छाती पर,, हमसब देश तिरंगा लहराएें। माँ तो उनके साथ नहीं, पर दुआ तो साथ जाती है। बहन की वो मुस्कान नहीं, राखी की चमक दिख आती है। पिता की झलक माथे पर, दिया आशीर्वाद दिखाए। शत्रुओं की छाती पर, हमसब देश तिरंगा लहराएें। एक सलाम सैनिकों के नाम