उस दिन माँ मुझे यही पाठ पढ़ा रही थी कि "हया स्त्री का गहना होती है"। मैंने उसकी बातों को बड़े गौर से सुना। शाम को मेरे ट्यूशन जाने का समय हुआ, मैं तैयार हो गयी। माँ ने भाई से कहा कि वह मुझे मुख्य सड़क तक छोड़ दे, परन्तु वह अपनी ही धुन में व्यस्त था। मुझे भी देरी हो रही थी तो मैं अकेले ही चली गयी। राह में कुछ लड़के मुझ पर अभद्र टिप्पणी करने लगे। तो मुझे माँ का सिखाया हुआ "हया" का पाठ याद आया और मैंने उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया। परन्तु वे मेरा पीछा करने लगे। तब मेरे ज़हन में आया कि अगर मैं चुप रही तो मेरे साथ कोई भी घटना घट सकती है, और फ़िर इससे बड़ी शर्म की बात कुछ नहीं होगी। मैं रुकी और उन लड़कों की तरफ़ इशारा करके शोर मचाने लगी। लोगों का ध्यान मेरी ओर होता देख वो लड़के रफ़ूचक्कर हो गए। इससे मैंने एक बात निश्चित रूप से सीखी कि "हया" स्त्री का गहना ज़रूर है परन्तु हया का चोला पहने चुप्पी साधना सबसे बड़ी मूर्खता है। #शब्दों_की_माला #भावनाओं_की_स्याही #हया #yourquotebaba #yqquotes #profoundwriters #YourQuoteAndMine Collaborating with PROFOUND WRITERS💎 #tishiyapa