ज़िद है आगे बढ़ने की हर तूफाँ से लड़ने की अब चाहे पथरीली राहें हों तूफाँ भी खोले बाहें हों मुश्किल से अब न डरना है ज़िद है कि आगे बढ़ना है कोमल पंख की मैं चिड़िया तो क्या मोम की मैं गुड़िया अब नील गगन में उड़ना है ज़िद है कि आगे बढ़ना है तप-तप कर ही सोना कुंदन बनता घिस-घिस कर तो माथे का चंदन बनता संघर्ष मुझे भी करना है ज़िद है कि आगे बढ़ना है #ज़िदहैकिआगेबढनाहै