एक नही अनन्य हो स्वप्न तो चैन न लेने देते सपनों से भरे नैना, हृदय हो जाता अट्हास छिन जाता है शाम ओ सहर का रैना, बन मनस्वी लगा घात अपने लक्ष्यों पर बगुले की सम भांति, त्याग आलस्य जीवन से सच दौड़ी आयेगी सफलता की साथी, सरोबार सुरभित सु व्यवहार सुकर्मों से स्वयं को आज कर लेना है, कहे जो जमाना कुछ भी तो बन अनजान उन्हें फिर कर दिखाना हैं, अनन्तः ही मिल जायेगा स्वप्नो का संसार जो तूने एक दिन देखा था, बस राह न छोड़ना न बनना मृगमरीचिका मिलेगा जो तूने सहेजा था। विशेष प्रतियोगिता:- Note:- विशेष प्रतियोगिता महिने की 1,15,30,31 तारीख को आयोजित की जाती है। 👉collab करके comment में done लिखे। 👉 समय सीमा- 24 घन्टे तक 👉शब्द सीमा-अनिश्चित 👉 10 top रचना को testimonial दिया जायेगा। 👉 #collabwithपंचपोथी #पंचपोथी #सपनो_से_भरे_नैना 👉 Panchpothi. Blogspot.com को एक बार visit अवश्य करे, link bio में दी गयी है।