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रात को रोक लिया, दिन को भी ढलने न दिया आतिशे इश्

रात को रोक लिया, दिन को भी ढलने न  दिया 
आतिशे इश्क़ ने कभी दिल को संभलने न दिया 

अपने दुश्मन तो हमीं ख़ुद हैँ,गिला किससे करें 
हम तो रुसवा भी  हुये जाम छलकने  न  दिया 

हमने धड़कन को भी सीने में छुपा कर रखा 
हद के अंदर भी अरमां को मचलने न दिया 

जी में आया कि नईं दुनियां बसा लें लेकिन 
हसरते  दीद ने  वादों से  मुकरने  न  दिया 

आतिशे इश्क़ ने झुलसा के रख दिया हमको 
राख होने न दिया,  हमको सुलगने न दिया 

किसी  मुफलिस की पूंजी  की तरह रखा  है 
खत जलाये थे मगर यादों को जलने न दिया
अनु 'इंदु' हसरतें 

अनु मित्तल ' इंदु '
रात को रोक लिया, दिन को भी ढलने न  दिया 
आतिशे इश्क़ ने कभी दिल को संभलने न दिया 

अपने दुश्मन तो हमीं ख़ुद हैँ,गिला किससे करें 
हम तो रुसवा भी  हुये जाम छलकने  न  दिया 

हमने धड़कन को भी सीने में छुपा कर रखा 
हद के अंदर भी अरमां को मचलने न दिया 

जी में आया कि नईं दुनियां बसा लें लेकिन 
हसरते  दीद ने  वादों से  मुकरने  न  दिया 

आतिशे इश्क़ ने झुलसा के रख दिया हमको 
राख होने न दिया,  हमको सुलगने न दिया 

किसी  मुफलिस की पूंजी  की तरह रखा  है 
खत जलाये थे मगर यादों को जलने न दिया
अनु 'इंदु' हसरतें 

अनु मित्तल ' इंदु '
anumittal9840

Anu Mittal

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