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         नारी सशक्तिकरण  रूख मोड़ दे आँधी का त



         नारी सशक्तिकरण 


रूख मोड़ दे आँधी का तू, ना डर आया वक़्त अब तेरा है

खोल आँख देख पाँव 'अंगद' सा पड़ा जमीं पर यह तेरा है 

घरती से अंबर तक नारी, अथवा हो चुका जग नारी सा है

कन्याकुमारी से कश्मीर तक, सजयघोष "मुहिम" छेड़ा है 

श्री मोदी के अथक प्रयास से, नारी को अधिकार मिला है

पतझड़ से व्याकुल उपवन को, पावस का उपहार मिला है

जियो और जीने-  दो कि नीति, होता देख साकार हुआ है

यश कि होड़ लगी सांसद में, पक्ष -विपक्ष सबको छुआ है

कई कोशिशें हुईं देश में, हर वार 'धुँआ- धुँआ' हुआ सा है 

संकल्प और सार्थक प्रयास से अबला- सबला हुआ सा है

©अनुषी का पिटारा..
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