विडंबना बहुत है संसार में लोगो के व्यवहार में। असमंजस में बिठा सामंजस चल रहे बाजार में। कभी कदम बढ़ा, कभी ठिठक कर कर रहे दुआ सरे जहां में। कोई तोलता, कोई टटोलता कोई परखता, कोई झिझकता। जिसकी जितनी सोच वो उतना समझता। अब बस मनमौजी बन जीना है सबको सीख यही देना है। #व्यथित_परिवर्तन