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उड़ाई थी जो पतंग दिन में, लिखा भी था दिल तक पहुँचने

उड़ाई थी जो पतंग दिन में,
लिखा भी था दिल तक पहुँचने का नंबर उस पर,
पर जा के कहीं उन दिमाग के तारो में फँस गयी
जब हुआ अँधेरा चल पड़ा सिनेमा
और वो कहानी इस बार पर्दे पे पूरी चली
वो इश्क भी चढ़ा पुरे परवान पर
और हर फ़र्याद भी दोनों की पूरी हुई 
सुबह उठा तो देखा बहुत हल्ला-गुल्ला(alarm)
और उस शोर की हवाओं में गुम्म कही वो डोर हुई 
ढूंढा बहुत कम्बखत उसको
पर वो कहानी सिनेमा के दी एंड से ही पहले ही खत्म हुई।

 #adhurikhwaish
उड़ाई थी जो पतंग दिन में,
लिखा भी था दिल तक पहुँचने का नंबर उस पर,
पर जा के कहीं उन दिमाग के तारो में फँस गयी
जब हुआ अँधेरा चल पड़ा सिनेमा
और वो कहानी इस बार पर्दे पे पूरी चली
वो इश्क भी चढ़ा पुरे परवान पर
और हर फ़र्याद भी दोनों की पूरी हुई 
सुबह उठा तो देखा बहुत हल्ला-गुल्ला(alarm)
और उस शोर की हवाओं में गुम्म कही वो डोर हुई 
ढूंढा बहुत कम्बखत उसको
पर वो कहानी सिनेमा के दी एंड से ही पहले ही खत्म हुई।

 #adhurikhwaish