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तुम ही नहीं,इस घर की, दरों दीवार भी अब मुझको, बोझि

तुम ही नहीं,इस घर की,
दरों दीवार भी अब मुझको,
बोझिल सा समझने लगी है,
तभी तो देख कर मुझको,
अलविदा हर पल कहने लगी हैं।

©kamlesh pratap singh
  #mountain