बेजान सी मूर्त हूं अभी मैं मेरी ख्वाइश भी ख़तम हैं जिस दिन इसमें जान आएगी तो समुन्द्र से ज्यादा उफ़ान होगा मेरी हर बात में तू करले जितने कर्म तुझे करने ह पता तो उस दिन चलेगा जिस दिन मैं आऊंगा मैदान में 📝📝📝... #तेज़ Beena Jajbaat-e-Khwahish(जज्बात)