यूँ ही रहे बदनाम हम इश्क़ में, कातिलाना तो जी मोहब्बतें तुम्हारी हैं. (check caption for ग़ज़ल) दीवार पे लगी वो तस्वीरें तुम्हारी है, जर्जर इस मकां में यादें तुम्हारी हैं. आश्रय बन मुद्दतों रखा गर्द से मेहफूज़, चद्दर पे पड़ी वो सिलवतें तुम्हारी हैं. कू-ए-दोस्त से लौटे, फिर रूठे से बैठे थे, कैद इस दिल में आज भी बातें तुम्हारी हैं.