हर लम्हा मुझे बस तिरा ही ख़्याल रहता है। बिन तेरे! दिल का मिरे अज़ब हाल रहता है। इश्क़ करके जिंदा रहूं जहां ये की दस्तूर नहीं। आशिकों से लोगो का ज़ावेदा बवाल रहता है। वो ज़मीं-ओ-ख़ाक हुआ है, भूलें नहीं है हम। सच्चे लोगों की जिंदा सदा मिशाल रहता है। ख़ुदा उसका भला कोई क्या बुरा कर पाएगा। जिसके हाथ में तेरी रहमत का ढाल रहता है। बर्बाद हो या जहां ज़मींदोज़ हो तुझे फर्क नहीं। ऐ ख़ुदा तेरे तो जहां में ऊंचा सदा मशाल रहता है। हज़ार ग़म सीनें में छिपा मुस्कुरा कैसे लेता है। "जय" से सबका ही यही इक सवाल रहता है। मृत्युंजय विश्वकर्मा #ग़ज़ल #bestgazal #bestshayari #mjaivishwa