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नयन गहरे शांत मनोहर सागर है तुम्हारे अधर पंखुडिय

नयन गहरे शांत मनोहर  सागर  है तुम्हारे
अधर पंखुडियां गुलाब पुष्प की,

भौहे है तनी संतरंगी इंद्रधनुष सा 
जुल्फें ,दिल को बांधने वाली रेशम की डोरी जैसे,

हर अदा तुम्हारी है निराली 
सब पर मै सदके जावां....

जीवन की अभिलाषा मैं क्या करूं
मुलाकात हो तुमसे और मैं मरजावां.... #img.source- inst.
# स्वीकार
नयन गहरे शांत मनोहर  सागर  है तुम्हारे
अधर पंखुडियां गुलाब पुष्प की,

भौहे है तनी संतरंगी इंद्रधनुष सा 
जुल्फें ,दिल को बांधने वाली रेशम की डोरी जैसे,

हर अदा तुम्हारी है निराली 
सब पर मै सदके जावां....

जीवन की अभिलाषा मैं क्या करूं
मुलाकात हो तुमसे और मैं मरजावां.... #img.source- inst.
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