प्रेम की परिभाषा क्या हो सकती है प्रेम अनंत प्रेम ही ईश्वर है प्रेम अंदर मन में जलता प्रकाश है प्रेम शारिरिक आकर्षण ,सम्मोहन नहीं प्रेम अनुभूति ,प्रेम हृदय की झनकार है किसी रिश्ते का मोहताज़ नहीं प्रेम अमूल्य उपहार ,प्रेम का कोई मूल्य नहीं सिसकते ,बिखरते टूटते रिश्तों का दरकार नहीं प्रेम बंदगी,इबादत,इंसानियत, विश्र्वास , है इसमें किसी को खोना या पाना नहीं प्रेम किसी को किसी से हो सकती है , मनुष्य को मनुष्य से या ईश्वर या ईश्वर की कला कृति से प्रेम अथाह सागर है जो भर जाऐं वो गागर नहीं ।।। The Writer Junction आप कवियों कवयित्रियों का इस प्रतियोगिता में स्वागत करता है। 30 शब्दों में अपनी रचना लिखें। #yqdidi #yqbaba #yqyourquoteandmine #thewriterjunction #प्रेमकीपरिभाषाtwj 👉 आपकी रचना मौलिक होनी चाहिये। 👉 समय सीमा - 06 जून 2020 शाम 16:30 तक 👉 कृपया हमारे Hashtags बरकरार रखें। 👉 कृपया Collab करने के पश्चात Comment में Done करें।