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जाने किस उधेर बुन में था आज सूरज,रात बीत चुकी है,स

जाने किस उधेर बुन में था आज सूरज,रात बीत चुकी है,सितारे शरमा के चाँद के पीछे छुप गए है और चांद ने एक सफेद बादल से अपने रुख को ढाँप लिया है।परन्तु उसकी नींद नहीं टूटी है।
सारे फूल टकटकी लगाए बस पूर्व की ओर निहार रहे है जैसे अभी अभी विष्णु अवतार लेंगे और इस कलयुग की पीड़ा को हर लेंगे।
सहसा ही उमर आये है काले घनेरे बादल ओर निगलने लगे है नीला आसमान जिसपे अब तक मखमली ख्वाब तैर रहे थे।।
अरे तभी एक तेज़ तलवार सी रोशनी की एक धार तम को चीरती निकल आयी है,उत्तर की ओर।
ये तुम्हारी खिड़की है।
शायद तुम जाग गईं हो,अब दुनिया आगे चलेगी।

©nirbhay chauhan तुम जाग गई हो।
#उम्मीद #Love #शायरी #poetry #दिल #maiorteriyaden
#covidindia
जाने किस उधेर बुन में था आज सूरज,रात बीत चुकी है,सितारे शरमा के चाँद के पीछे छुप गए है और चांद ने एक सफेद बादल से अपने रुख को ढाँप लिया है।परन्तु उसकी नींद नहीं टूटी है।
सारे फूल टकटकी लगाए बस पूर्व की ओर निहार रहे है जैसे अभी अभी विष्णु अवतार लेंगे और इस कलयुग की पीड़ा को हर लेंगे।
सहसा ही उमर आये है काले घनेरे बादल ओर निगलने लगे है नीला आसमान जिसपे अब तक मखमली ख्वाब तैर रहे थे।।
अरे तभी एक तेज़ तलवार सी रोशनी की एक धार तम को चीरती निकल आयी है,उत्तर की ओर।
ये तुम्हारी खिड़की है।
शायद तुम जाग गईं हो,अब दुनिया आगे चलेगी।

©nirbhay chauhan तुम जाग गई हो।
#उम्मीद #Love #शायरी #poetry #दिल #maiorteriyaden
#covidindia