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मेहनत से सजती है, मेहनत से सँवरती है। मेहनत ही जिं

मेहनत से सजती है, मेहनत से सँवरती है।
मेहनत ही जिंदगी में खुशियां भरती है।।
कभी फूल कभी काँटे, कभी ठोकरों से भरी राहे मिलती है।
सबकुछ टिका है मेहनत पर यारो।
फिर भी पूछते है कुछ लोग,
तुम्हारे हाथो की लकीरें क्या कहती है।।
"मुकेश बिर्ला" #हाथो की लकीरें क्या कहती है#
मेहनत से सजती है, मेहनत से सँवरती है।
मेहनत ही जिंदगी में खुशियां भरती है।।
कभी फूल कभी काँटे, कभी ठोकरों से भरी राहे मिलती है।
सबकुछ टिका है मेहनत पर यारो।
फिर भी पूछते है कुछ लोग,
तुम्हारे हाथो की लकीरें क्या कहती है।।
"मुकेश बिर्ला" #हाथो की लकीरें क्या कहती है#