हमें आज़ाद करने को कहीं आज़ाद जन्मा था पचीसी मौत मरने को कहीं आज़ाद जन्मा था कि उसके खूँ के छींटे से हुआ था बाग भी पावन बधाई भारती माँ को यहीं आज़ाद जन्मा था ©मनीष रोहित गराई✍