रस्ता और गाँव किताबें बांध लु अपनी,परों को काट ही डालूं अपनी। ख्याल आता है कमजोरी में चलते देखकर अक्सर। अब अपने बाप के टांगों से टांगें बांध लु अपनी। #पितापरमेश्वर