इश्क़ दा तोहफा क्या दू मैं तुझको जो कबूल करे तू, तेरे जैसा जमाने में कुछ है ही नहीं। काश तुझे हो मेरे इश्क पर यकीं, इससे अच्छा "रसिक" के लिए, इश्क दा तोहफा नहीं......! इश्क दा तोहफा.....!