...................... ©कवि राहुल पाल "पनिहारन " लेखक - कवि राहुल पाल दिनांक -७ जून २०२१ **************** इक नार नवेली,छैल छबीली चली इठलाती पनघट पर , कर में कंगना ,कमर करधनी, नज़र है सबकी घूघट पर , पांव में पायल,आंख में काजल ,केश में गजरा गमकत है , मोरा तन-मन सिहरत रोम-रोम ,घुघरू की हर आहट पर !!