शांतचित्त… अपराधबोध के घना जंगल के समान होता है, जिसमे इंसान रास्ता भटक जाता है । अकल्पनीय विचार दिमाग़ में पानी के बुलबुले के समान बनती-बिगड़ती है और चेहरे को रुआंसा कर जाती है…! शांति भवः #शांत_सा_मन #शांततूफ़ाँ #शांति_की_सीढ़ी #चित्तवृत्तियों #collabroting with rj rehan roy