तुम्हारी याद बाकी है। जो पूरी कर न सका , वो अधूरी सी बात बाकी है। तुमको देखा करते थे, हम ख्वाबों में हर रोज । सामने से दीदार की , वो आस बाकी है। लगा रखी थी उम्मीद मैने वर्षो से , जो तुमसे कभी हो न सकी , वो मुलाकात अभी बाकी है....... ©GAYATRI AHIRWAR (pakhi) #कुछ अपनासा.......