बाट मैं जोहते तेरी, फना ग़र हो गया तो भी भटकते भव ये पाएगा, रूह को तूँ जहाँ होगी रोमियो और मजनूँ सा, तेरा सच्चा दीवाना हूँ 2 आज की तरहा कपटी या, नहीं समझो मुझे ढोंगी ©कवि प्रभात प्रेम कविता कविता कोश