लिखी जाएगी अब, इबारत नयी सी ll नवाबी रहे गी, न होगी ,रई सी ll उमीदों का सब दौर, हांथों को थामें ll समय बन गया है, सरलतम मनीषी ll ©aakashsaral aakash saral #WorldPoetryDay