तो क्या हुआ??? कैसे कहूं और किस तरह बयान करूं मेरे दिल का हाल, बस एक तुम ही तो थे जो रहते थे हंमेशा मेरे ख्य़ाल में। तो क्या हुआ?? अब जो मंजिले हो गई अपनी जुदा हुएं हम बेहाल, पर उन रास्तों से तुम्हारा आज भी तो गुजरना रहता ही मेरे कवाल। बड़ा ही अजीब सा रिश्ता रहा था उन दिनों जब करते थे आपस में बबाल, हमसफ़र ना सही पर हमराही तो थे हम एकदूसरे के करते थे सवाल। अब समझ़ आया क्यों हुए हम तुमसे जुदा जब रह गए आवारा हम, तो क्या हुआ?? अब रह गए बस बनके तुम मेरा अधूरा सा जवाब।। मेरे प्यार के लिए, जो बिछ़डा था वो एक दिन मिलेगा जरूर, रिश्ता तुम्हारा मेरा महेकेगा बनके एक फूल। झूठें वादों से नहीं सच्चे इरादों से करना तुम कबूल, ना खता थी तुम्हारी और कर गए हम एक भूल। गलतियां होती है सबसे पर करना पड़ता है उसको कबूल,