ये चादर सुख की मौला क्यों सदा छोटी बनाता है सिरा कोई भी थामो तो दूसरा छूट जाता है तुम्हारे साथ था तो मैं जमाने भर से रुस्वा था मगर अब तुम नही हो तो जमाना साथ गाता है by कुमार अजीत