गोपियाँ बोली हे मुरली, तुम कितने खुशनसीब हो मेरे प्रभु तुम्हारे संग रास रचाते हैं, वो तुम्हें होंठों से लगाकर चूमते हैं, तुम्हारे पैरों को अपने दोनो हाथों से दबाते हैं। उनके केश हिलकर तुम्हें पंखा झलते हैं, तुम्हें अपने अधरों का रसपान कराते हैं, प्रभु साथ छोड़ते नहीं, हम सब उनके इशारे पर और वो तुम्हारे इशारे पर नाचते हैं। एक बार राधा ने मुरली से पूछा, मैं प्रेम करती हूँ पर कान्हा होंठों से तुम्हें लगाते हैं, जो उठाते हैं अपनी कनिष्ठा पर गोवर्धन पर्वत, क्यों वो दोनों हाथों से तुम्हें बजाते हैं। मुरली ने कहा, मैंने प्रभु के खातिर अपना तन और मन हर तरफ से कटवाया है, मैनें अपने सारे दुखों को भूलकर, सिर्फ प्रभु की असीम भक्ति को अपना बनाया है मेरे प्रभु जिससे हमेशा खुश और आनन्द रहें, मैनें बस उसी धर्म को अपनाया है। प्रभु के मन अनुरूप मैंने उनके सुर को सजाया, तब प्रभु ने मुझे होंठों से लगाया है। प्रभु की इच्छानुसार ही रहता हूँ, आपलोग प्रभु को अपने अनुकूल रखना चाहती हो, पूरे ब्रह्मांड को नचाने वाले नारायण को, आपलोग स्वार्थ वसीभूत नचाना चाहती हो। To ye rha aaj ka topic.. #krishnabansuri #krishnalove #krishna #flutekrishna #yqbaba #yqdidi #yqquotes #love Time limit till 10:00pm tonight... No word limit You have to maintain these hashtags Kindly keep the bell icon on to get recent updates...