Bharat desh ki aajadi me gandhi ji ka yogdan ye story hamen batati hai ki kis kis prakar se vakti ko forward hona chahiye मोहनदास करमचंद गांधी अफ्रीका जाने से पहले सामान्य आदमी थे, स्कूल में, कॉलेज में और लंदन में उनके भविष्य का कोई आशाप्रद नहीं मान सकता था। फिर शरीर से दुर्बल, स्वभाव से बहुत शर्मीले और सार्वजनिक सभा में बोलने में संकोचशील। पर इस शर्मीले और संकोचशील आदमी के मन में एक अद्भुत आदर्श धीरे-धीरे साकार होने लगा- मातृभूमि की आजादी का! और जैसे-जैसे यह आदर्श दृढ़ होता गया, वैसे-वैसे उनकी शक्ति और अधिक बढ़ती गई। शरीर से दुर्बल होते हुए भी मीलों तक उन्होंने कूच किया और अगणित दिनों तक उपवास रखा, संकोच छोड़कर वह वाइसराय और गवर्नर-जनरल से मिले, यही नहीं, बल्कि विशाल मानव-समुदाय के बीच खड़े होकर भाषण दिए। इस तरह प्राणों के समान प्रिय अपने आदर्श को मूर्तिमान किया और अपनी मातृभूमि को स्वंतत्र कराके ही दम लिया। ©cm verma Story # गांधीजी का ध्येय #Corona_Lockdown_Rush