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श्याम का प्रेमभाव हे राधिके..! जितनी बार देखूँ

   श्याम का प्रेमभाव 
हे राधिके..! जितनी बार देखूँ सौंदर्य तुम्हारा 
मन बाँवरा भरता नहीं,
किन शब्दों में करूँ मैं वर्णन तुम्ही में मेरा सारा 
संसार समाया है,
तुम्हारे ये नयन मतवाले से जाने क्यों ये भ्रमित 
है मुझे कर देते,

शब्द रस रूप सुगंध से निर्मित तुम्हारी कण 
कण को महकाती सी उज्ज्वलता के तेज से
धरती सारी पर सुनहरी सी धूप बिखरा जाती 
है,

शब्द भी शब्दहीन हो जाते कैसे करूँ मैं 
व्याख्यान प्रिये मैं दीपक सा तुम बाती सी 
ज्योति उसकी अटूट विश्वास प्रिये, 

मिसाल हमारे सच्चे प्रेम की आधारशिला ये
प्राण प्रिये, राधा बिना श्याम अधूरा श्याम 
बिना राधा अधूरी कैसी गज़ब की जोड़ी 
हे मेरी राधे तुम प्राणों से भी प्यारी प्रिये, काव्य मिलन 
पहला चरण 
श्रृंगार रस
श्याम का प्रेम भाव
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
प्रस्तुत पंक्ति में श्री श्याम जी श्रृंगार रस में 
अपनी भावनाओं को सुकुमारी राधा रानी से अपने 
शब्दों में ढ़ाल कर उनसे कहने का प्रयत्न कर रहे हैं
   श्याम का प्रेमभाव 
हे राधिके..! जितनी बार देखूँ सौंदर्य तुम्हारा 
मन बाँवरा भरता नहीं,
किन शब्दों में करूँ मैं वर्णन तुम्ही में मेरा सारा 
संसार समाया है,
तुम्हारे ये नयन मतवाले से जाने क्यों ये भ्रमित 
है मुझे कर देते,

शब्द रस रूप सुगंध से निर्मित तुम्हारी कण 
कण को महकाती सी उज्ज्वलता के तेज से
धरती सारी पर सुनहरी सी धूप बिखरा जाती 
है,

शब्द भी शब्दहीन हो जाते कैसे करूँ मैं 
व्याख्यान प्रिये मैं दीपक सा तुम बाती सी 
ज्योति उसकी अटूट विश्वास प्रिये, 

मिसाल हमारे सच्चे प्रेम की आधारशिला ये
प्राण प्रिये, राधा बिना श्याम अधूरा श्याम 
बिना राधा अधूरी कैसी गज़ब की जोड़ी 
हे मेरी राधे तुम प्राणों से भी प्यारी प्रिये, काव्य मिलन 
पहला चरण 
श्रृंगार रस
श्याम का प्रेम भाव
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
प्रस्तुत पंक्ति में श्री श्याम जी श्रृंगार रस में 
अपनी भावनाओं को सुकुमारी राधा रानी से अपने 
शब्दों में ढ़ाल कर उनसे कहने का प्रयत्न कर रहे हैं
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