#5LinePoetry #पनिहारी सुबह हवाँ के शोर मै खिली सुबह की भोर सिर पर रख घट चली पनघट की ओर पनिहारी.... माथे पर बिंदी सजाए चेहरे पर घूंघट सरकाए सबसे नैन चुराती चली आंखो मे शरमाए पनिहारी .... अपने कोमल हाथों से खेंच रस्सी कगनं खनकाए खेतो की पगडंडी पर चल पायल छनकाए पनिहारी.... अपनी भोली सूरत से पूरे गांव का मन महकाए जा पनघट पर ले जल सबकी प्यास बुझाए पनिहारी.... अपनी छोटी छोटी बाते सखियो को बता मुस्काये भोली भाली आंखो मे सारा संसार समाये पनिहारी.... ✍️पीयूष वाणी ©piyush Vaisnav