ठूँठ हो चला है अब वो पेड़ खड़ा है आँगन की दहलीज पर घरवाले बाबा जैसा इंतज़ार में है मौसम के बदलने का पत्तों के पेड़ में लगने का चिड़ियों के कलरव का गिलहरियों की धमाचौकड़ी का बस कुछ उन पलों का इंतज़ार जब ठूँठ भी हो जाता है जीवंत बिल्कुल बाबा जैसा... #YQdidi#ठूँठ#पेड़#hindipoem ठूँठ हो चला है अब वो पेड़ खड़ा है आँगन की दहलीज पर घरवाले बाबा जैसा इंतज़ार में है