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कभी कभी लफ्ज़ मयस्सर नहीं , कभी अल्फ़ाज़ मिलते नहीं।

कभी कभी लफ्ज़ मयस्सर नहीं ,
कभी अल्फ़ाज़ मिलते नहीं।
जज्बात-ए-बयां मुक़म्मल कैसे हो?
जब इजहार-ए-जशन होते नहीं? #लफ्ज़_ए_राज़
कभी कभी लफ्ज़ मयस्सर नहीं ,
कभी अल्फ़ाज़ मिलते नहीं।
जज्बात-ए-बयां मुक़म्मल कैसे हो?
जब इजहार-ए-जशन होते नहीं? #लफ्ज़_ए_राज़