ग़ज़ल शीर्षक - ज़िंदा मिसालें कहाँ हैं ? अँधेरे भर चुके हैं सबमें अब, इनमें गुमशुदा उजाले कहाँ हैं ? पत्थर के इस शहर में बोलो, पूछता दिल की दिलवाले कहाँ हैं ? सौदेबाज़ी की दुनिया में कहो, सदाक़त बेचनेवाले कहाँ हैं ? तलाश रहा है दिल कि इस भीड़ में, सोने- से चमकनेवाले कहाँ हैं ? अब नहीं देखना पत्थर का खुदा, बताओ ज़िंदा मिसालें कहाँ हैं ? #Ghazal ज़िन्दा मिसालें कहाँ हैं? (Zinda Misaalen Kahaan Hain?) -प्रियंतरा भारती (Priyantara Bharti)