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"अकेला चला हूं में , ज़िंदगी भर किसी का साथ नही

"अकेला  चला हूं में , ज़िंदगी भर
 किसी का साथ नही मिला मुझे, 
में तलाश करता रहा उस शख्स की ,
जो मेरा साथ निभा सके,पर मेरी
 तलाश की मंजिल ऐसी थी ,की 
जैसे रेगिस्तान में मीठे दरिया का 
पानी,न साथी मिला न तलाश ख़त्म
 हुई,हर कदम चलकर,एक नया 
कदम उठाया बस उस की तलाश में,
अब कारवां आ पहुंचा है,जिंदगी के
 कगार  में, और में अब भी चला जा
 रहा हूं,बस अकेला हूं, और मंजिल
 की तलाश है ,

©पथिक
  #चलाता रहा हूं में

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