मेरे मुल्क में ये कैसी नफ़रत की हवाये चल रही हैं जो कभी मुहब्बत की तरह थी अब नफ़रत की दीवार चल रही हैं क्या पता कब क्या हो जाए इतने जालिम है लोग यहां अब तो संसद में भी मुहब्बत के बजाय नफ़रत की बात चल रही हैं जो कभी हमारे दुःख में शामिल हुआ करते थे क्या हो गया जो देखने के बजाय हमारी अच्छी बात को झूठी बात लोगों में चल रही हैं कितने खुदगर्ज हैं लोग यहां पर कुछ कह नहीं सकता हमारे प्यार को अब लोगों में नफ़रत की आग की तरह लग रही हैं क्यूं इतनी जल्दी हैं मरने की जरा पता तो करो अब जो लोग यहां सबसे मुहब्बत करते थे उनकी हर बात की साज़िश चल रही हैं मेरे मुल्क में ये कैसी नफ़रत की हवाये चल रही हैं जो कभी मुहब्बत की तरह थी अब नफ़रत की दीवार चल रही हैं क्या पता कब क्या हो जाए इतने जालिम है लोग यहां अब तो संसद में भी मुहब्बत के बजाय नफ़रत की बात चल रही हैं जो कभी हमारे दुःख में शामिल हुआ करते थे क्या हो गया जो देखने के बजाय हमारी अच्छी बात को झूठी बात लोगों में चल रही हैं