दो स्त्रियां, सखियां कब बन जाती हैं? जब माँ बेटी और बेटी माँ बन जाती हैं! सूर्य तपिश में जीवन को उसने काटा है केश को अपने अब दो रंगों में बांटा है नयन में जागे है स्वप्न कई इन वर्षों में मगर उसे बस आंखे मूंद लेना आता है सूर्य की किरणें सारी अब मुझे लुभाती है जब माँ बेटी और बेटी माँ बन जाती हैं! (पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़े...!) दो स्त्रियां, सखियां कब बन जाती हैं? जब माँ बेटी और बेटी माँ बन जाती हैं! सूर्य तपिश में जीवन को उसने काटा है केश को अपने अब दो रंगों में बांटा है नयन में जागे है स्वप्न कई इन वर्षों में मगर उसे बस आंखे मूंद लेना आता है