कितनी परछाइयां उभरती हैं जिंदगी के भंवर में कुछ जानी पहचानी कुछ अंजान चेहरों सी कुछ बीते कल की और आने वाले कल से मानों सहसा मुझे डराने आयी हों लेकिन विश्वास की रोशनी में जो अक्स मुझे इस भंवर में भी आकर्षित करता है वो मेरी खुद की परछाईं है । D.swanshi💕 #परछाइयां