जहां देखिए करोना ही करोना छाया है अखबार में करोना नहीं करोना में अखबार छपकर आया है मोदी लहर के बाद देखिए देश में करोना लहर का है कहर एक किश्त आबादी आप गई अब बची आबादी पर है नज़र जब मेरा दिल शांत न रहा तो मैंने करोना से कहा- आप को आये एक साल हो गया आदमी का सब कुछ लुटा गया वो कंगाल हो गया आप अब तक छट्ठी मना रहे हैं वो बोला-छट्ठी तो पिछले साल थी अबकी बार तो बरसी अभियान चला रहे हैं तुम ने भी हमें मारने का खूब किया है इंतजाम और करोना की वैक्सीन लाकर कर रहे हो हमारा रास्ता जाम "टिका उत्सव"चलाते हो अपने स्वास्थ्य केन्द्र पर जैसे सारी जिम्मेदारी कंधे में बैठी हो प्रधानमंत्री नरेन्द्र पर मिटा देंगे तुम्हारा नामोनिशान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगा तुम्हारा नाम आलिशान मैंने कहा-कोई जातिगत है क्या दुश्मनी? करोना बोला-रहती थी ना तुम्हारी भौंहें हमेशा तनी अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे किसको सुनाओगे अपनी दास्तान आंखें मीचे रोओ, गिड़गिड़ाओ मेरे पैर में गिर जाओ भगवान को भूलो मेरे कदमों में सिर झुकाओ अगर दया आई तो बच जायेगी तुम्हारी जान वरना मरना तो है आज हो या कल सब एक समान मैंने कहा-हे करोना महराज! इतना निर्बल नहीं है नयी सदी का मानव आज और आप जो पहने हुए हैं ना मौत का ताज आपको भी काल के गाल में समा देंगे अगर बिगड़ा हमारा मिजाज अहंकार का दंभ चलता नहीं ज्यादा देर मत भूलिए शेर को भी मिलता है सवा शेर जैसे दिये की रौशनी बुझने से पहले जगमगाती है बहुत जोर आपका भी यही हाल होगा नहीं रहेगा कहीं भी करोना का शोर करोना बोला-जल गये हो लेकिन अकड़ अभी भी दिखता है मैं बोला-कवि अकड़ से नहीं अंकल से लिखता है और याद रखना आऊंगा मैं आपकी समाधी पर फूल चढ़ाने वो बोला-तुम्हारी सेहत के लिए अच्छा होगा भूल जाओ ये ख़याली पुलाव पकाने कर लो चाहे जितने जतन हो के रहेगा तुम्हारा पतन मैं अपनी बात का पक्का हूं यमराज के रथ काा चक्का हूं मैंने कहा देखूंगा तुम्हारी औकात और मैं जिंदा रहा या तुम फिर करेंगे बात जाओ तुम्हारा अभियान कर रहा है तुम्हारा इंतज़ार और मेरा अभियान है तुम्हारी मौत का करना उचित उपचार सावधान रहें,सुरक्षित रहें,सतर्क रहें,घर पर रहें पहने मास्क, डिफिकल्ट नहीं है टास्क लगवायें वैक्सीन,मत करें इसे अनसीन पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन की अलख से ओत-प्रोत आदित्य कुमार भारती टेंगनमाड़ा, बिलासपुर,छ.ग. ©Aditya Kumar Bharti #करोना