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तक़दीर के मारे हम, करें किस से क्या गिला..! टूट क

 तक़दीर के मारे हम,
करें किस से क्या गिला..!

टूट कर बिखरे ही थे,
कि तुम्हारा ख़त मिला..!

ज़ख़्मों पे नमक छिड़कने वाले,
क्या बताऊँ तुझे मैं..!

मेरी वफाओं का तुमने,
अच्छा दिया सिला...!

काँटों से क्या उम्मीद करें हम,
गुलाब बेवफ़ाओं के घर खिला..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #GuzartiZindagi #khat