इश्क करते हैं कभी मनमानी नहीं करते,, न हो कबूल उनको तो बदनामी नहीं करते,,, खुद के अंदर एक जहाँ रखते हैं यारो,, जमाने से उनकी हम कहानी नही करते,,,, झड़ते हैं पत्ते उन शाखों से मौसम में,,,, मोहब्बब है,, शाखों से परेशानी नहीं करते,, माना बीमार हैं हम इन दिलों के मयखानों के,,, मगर क्या करें दर्द मीठा है निगरानी नहीं करते,,,, रखकर हमें लगाते हैं, जो हजारों की नुमाइशें,,,, उनके भी गुनाहों की हम बदनामी नहीं करते,,,,, #इश्क,,,,,#मोहब्बत,,,