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असंख्य अनगिनत चेहरों को देख लगता विकसित हो रहा च

असंख्य अनगिनत 
चेहरों को देख 
लगता विकसित हो रहा
चेहरों का जंगल घना
जैसे उगते हैं जंगल में
विभिन्न पेड़-पौधे
काँटों और फल-फूल के
ऐसे ही भीड़ में दिखते हैं चेहरे
प्रेम और वैर के
प्रसन्नता और उदासी के
जो दिखाते हैं उसे जंगल के समरूप ही
आता है चेहरों के जंगल में
वसंत भी और पतझड़ भी
भाव-भंगिमा चेहरों की
बयाँ कर देती हर मौसम को ही
ऋतु आती और जाती रहती हैं
असर दिखता रहता है
कभी हरियाली कभी पतझड़
कभी बादल कभी सावन
चेहरों से बरसता रहता है
जंगल चेहरों का घना होता रहता
यूँ ही जीवंत बना रहता
"जंगल चेहरों का"...!💫
Muनेश...Meरी✍️ चेहरों का जंगल
असंख्य अनगिनत 
चेहरों को देख 
लगता विकसित हो रहा
चेहरों का जंगल घना
जैसे उगते हैं जंगल में
विभिन्न पेड़-पौधे
काँटों और फल-फूल के
ऐसे ही भीड़ में दिखते हैं चेहरे
प्रेम और वैर के
प्रसन्नता और उदासी के
जो दिखाते हैं उसे जंगल के समरूप ही
आता है चेहरों के जंगल में
वसंत भी और पतझड़ भी
भाव-भंगिमा चेहरों की
बयाँ कर देती हर मौसम को ही
ऋतु आती और जाती रहती हैं
असर दिखता रहता है
कभी हरियाली कभी पतझड़
कभी बादल कभी सावन
चेहरों से बरसता रहता है
जंगल चेहरों का घना होता रहता
यूँ ही जीवंत बना रहता
"जंगल चेहरों का"...!💫
Muनेश...Meरी✍️ चेहरों का जंगल