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*सुविचार* *Date-23/5/19* *Day-Thursday* कहते हैं

*सुविचार*
*Date-23/5/19*
*Day-Thursday*


कहते हैं यदि भाग्य साथ ना हो.... यदि "भाग्य" ही "खराब" हो... तो "मिठी" नदी का "पानी" 🥤 भी "खारा" बन जाता है.... ये बात "अनुचित" हैं...हर बात के लिए "भाग्य" को "दोष" देना "अनुचित" हैं,?.. हर "अनहोनी" का कारण "जीवन" में "भाग्य" नहीं हो सकता, कई बार वो हमारी  "असावधानी" भी होती हैं, "सावधान" रहना" अत्यंत" आवश्यक हैं....
हम आने वाले "संकट" के लिए "सावधान" नहीं रहते... "शरीर" को" सजग  नहीं रखते...." अचानक" "संकट" हमारे "समक्ष" आ जाता हैं हम स्वयं को "संभाल" नहीं पाते... इस"परिस्थिति" में हम" हार" जाते हैं...
" सावधानी रखना" अत्यंत आवश्यक है... जब आप किसी "अंजान" "राह" पर निकलते हैं तो सर्वप्रथम अपना एक पेर अपनी"धरा" पर जमाएं, और दूसरे  "पैर" से आने वाली" भूमि" का "आंकलन" करना...
 ये "समझदारी" हैं...."सावधान" का अर्थ हैं... आने वाले" भविष्य" का" आंकलन" करना, क्योंकि चाहे" कुछ" भी कर लो, आप "भविष्य" को तो देख नही सकते किन्तु यदि आपके "भविष्य" में "संकट" ही लिखा हैं, तो आने दिजिये... उस "संकट" का "सामना" करने के लिए आप"सावधानी की ढाल" का तो उपयोग कर सकते हैं......

Bý-Åťüľ Şhãřmå🖊️🖋️✨✨✨ *सुविचार*
*Date-23/5/19*
*Day-Thursday*


कहते हैं यदि भाग्य साथ ना हो.... यदि "भाग्य" ही "खराब" हो... तो "मिठी" नदी का "पानी" 🥤 भी "खारा" बन जाता है.... ये बात "अनुचित" हैं...हर बात के लिए "भाग्य" को "दोष" देना "अनुचित" हैं,?.. हर "अनहोनी" का कारण "जीवन" में "भाग्य" नहीं हो सकता, कई बार वो हमारी  "असावधानी" भी होती हैं, "सावधान" रहना" अत्यंत" आवश्यक हैं....
हम आने वाले "संकट" के लिए "सावधान" नहीं रहते... "शरीर" को" सजग  नहीं रखते...." अचानक" "संकट" हमारे "समक्ष" आ जाता हैं हम स्वयं को "संभाल" नहीं पाते... इस"परिस्थिति" में हम" हार" जाते हैं...
" सावधानी रखना" अत्यंत आवश्यक है... जब आप किसी "अंजान" "राह" पर निकलते हैं तो सर्वप्रथम अपना एक पेर अपनी"धरा" पर जमाएं, और दूसरे  "पैर" से आने वाली" भूमि" का "आंकलन" करना...
*सुविचार*
*Date-23/5/19*
*Day-Thursday*


कहते हैं यदि भाग्य साथ ना हो.... यदि "भाग्य" ही "खराब" हो... तो "मिठी" नदी का "पानी" 🥤 भी "खारा" बन जाता है.... ये बात "अनुचित" हैं...हर बात के लिए "भाग्य" को "दोष" देना "अनुचित" हैं,?.. हर "अनहोनी" का कारण "जीवन" में "भाग्य" नहीं हो सकता, कई बार वो हमारी  "असावधानी" भी होती हैं, "सावधान" रहना" अत्यंत" आवश्यक हैं....
हम आने वाले "संकट" के लिए "सावधान" नहीं रहते... "शरीर" को" सजग  नहीं रखते...." अचानक" "संकट" हमारे "समक्ष" आ जाता हैं हम स्वयं को "संभाल" नहीं पाते... इस"परिस्थिति" में हम" हार" जाते हैं...
" सावधानी रखना" अत्यंत आवश्यक है... जब आप किसी "अंजान" "राह" पर निकलते हैं तो सर्वप्रथम अपना एक पेर अपनी"धरा" पर जमाएं, और दूसरे  "पैर" से आने वाली" भूमि" का "आंकलन" करना...
 ये "समझदारी" हैं...."सावधान" का अर्थ हैं... आने वाले" भविष्य" का" आंकलन" करना, क्योंकि चाहे" कुछ" भी कर लो, आप "भविष्य" को तो देख नही सकते किन्तु यदि आपके "भविष्य" में "संकट" ही लिखा हैं, तो आने दिजिये... उस "संकट" का "सामना" करने के लिए आप"सावधानी की ढाल" का तो उपयोग कर सकते हैं......

Bý-Åťüľ Şhãřmå🖊️🖋️✨✨✨ *सुविचार*
*Date-23/5/19*
*Day-Thursday*


कहते हैं यदि भाग्य साथ ना हो.... यदि "भाग्य" ही "खराब" हो... तो "मिठी" नदी का "पानी" 🥤 भी "खारा" बन जाता है.... ये बात "अनुचित" हैं...हर बात के लिए "भाग्य" को "दोष" देना "अनुचित" हैं,?.. हर "अनहोनी" का कारण "जीवन" में "भाग्य" नहीं हो सकता, कई बार वो हमारी  "असावधानी" भी होती हैं, "सावधान" रहना" अत्यंत" आवश्यक हैं....
हम आने वाले "संकट" के लिए "सावधान" नहीं रहते... "शरीर" को" सजग  नहीं रखते...." अचानक" "संकट" हमारे "समक्ष" आ जाता हैं हम स्वयं को "संभाल" नहीं पाते... इस"परिस्थिति" में हम" हार" जाते हैं...
" सावधानी रखना" अत्यंत आवश्यक है... जब आप किसी "अंजान" "राह" पर निकलते हैं तो सर्वप्रथम अपना एक पेर अपनी"धरा" पर जमाएं, और दूसरे  "पैर" से आने वाली" भूमि" का "आंकलन" करना...
atulsharma6011

Atul Sharma

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