पावन निर्मल गंगा - सी मैं तुमसे प्रीत कर जाऊंगी ।। अधरों से मन की अब बातें तुमसे सब कह जाऊंगी।। सपनों में जो हठ करती हूँ तुमसे सब कर जाऊंगी।। बनकर दासी तेरी कान्हा तेरी ही रंग में रंग जाऊंगी।। आठोयाम संग तेरे रहकर हर मझधार से उबर जाऊंगी।। सुनकर तेरी मुरली की धुन युग - युग तक तर हो जाऊंगी।। #अंजलीश्रीवास्तव