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जब से गुफ़्फ़तगु मेरी उन से होने लगी, ये इश्क को चिं

जब से गुफ़्फ़तगु मेरी उन से होने लगी,
ये इश्क को चिंगारी की लो अब बढ़ने लगी,

अब ये तिश्नगी और भी बढ़ने लगी,
रोज़ अब ये अंजुमन में मिलने लगी,

दोनों के अब होने लगे सुशोभित आलाप,
दूरियां नजदीकी में बढ़ने लगी रोज करते आपसी मिलाप। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार...📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-13 में स्वागत करता है..🙏🙏
*आप सभी 6-8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।

💫 प्रतियोगिता ¥13:- गुफ़्तगू होने लगी है
जब से गुफ़्फ़तगु मेरी उन से होने लगी,
ये इश्क को चिंगारी की लो अब बढ़ने लगी,

अब ये तिश्नगी और भी बढ़ने लगी,
रोज़ अब ये अंजुमन में मिलने लगी,

दोनों के अब होने लगे सुशोभित आलाप,
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