#Pehlealfaaz अब न कोई ठौर है न ठिकाना है, मैं अपना समाज बेच बैठा हूं ! मैं अब बेघर होकर घूम रहा हूं, मैं अपना मकान बेच बैठा हूं ! हमसे कुछ न कहो बोलने को, मैं अपना जुवान बेच बैठा हूं !! हमें अब जरूरत नहीं किसी बसेरा का, मैं तो पुरा आसमान बेच बैठा हूं !!! :- संतोष 'साग़र' #nojoto #बेचनेवाला Bhima Lambariya