सींच के लहू अपना जिसने बचाया देश है, इज्ज़त बचाने मां की कसे जिसने कमान, ईश बराबर झलकता ऐसे सुरों का वेश है, शत शत नमन हो तुमको ऐ वीर जवान। खेत में फैलाते ये हरियाली अपने कर्मो से हैं, बढ़ाते है सारे जगत में ये भारत देश की शान, गरीब पैसों से दिखते है पर अमीर धर्मों से है, जो बंजर जमीन में सोना करे ऐसा है किसान। एक हाथ अन्न दूजे सुरक्षा में तलवार को, दोनों एक ही मां के सपूत है ये इन्सान, एक खुद को लूटता दूजा लूटता हमारे प्यार को, बस इनको ही करता नमन जय जवान जय किसान। है दोनों को बेहाल भारत में सब एक सा करे, जवानों को कोई अब सम्मान बचा नहीं है, किसानों के उपकारों की जो सराहना करे, अब यहां कोई इंसान बचा नहीं है, पर खोखली ही सही पर जलते है इनके नाम के मशान, सीने में भाव नहीं पर फिर भी जय जवान जय किसान। 2 अक्टूबर 1904 में जन्मे श्री लालबहादुर शास्त्री 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद उन्हें उनकी बेदाग़ छवि के कारण प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। 1962 में भारत पहले ही चीन के साथ हुए युद्ध में हार चुका था जिस के मद्देनज़र पाकिस्तान ने भारत को कमज़ोर आँकते हुए 1965 में भारत पर हमला कर दिया लेकिन शास्त्री जी के नेतृत्व में भारत ने न सिर्फ़ यह