मा की ममता मा का वर्णन करना यारो मुमकिन नहीं नामुमकिन है । सगरी धरा को बुक बनाऊ सगरे नीर को स्याही । जब लिखने बैठू ममता मा की तो बुक स्याही कम परजाय ' । दुनियाॅ में मा ही सबसे दानी है मेहनत पसीने की कमाई बच्चो पर करती निसंकोच खर्च । और थकी हारी होने पर भी अपनी न करके परवाह बच्चों को भूखा देख ना रह पाती है माता । सारी थकावट दूर हो जाती देख अपने भूखे बच्चों को । तुरन्त बनाती हैं खाना चाहे रात हो या दोपहरी । मा की लीला अद्भुत है जितना वर्णन करु उतना ही मोकू कम लागै । अशोक कुमार Poet धन्यवाद । मा की ममता छोटी कविता