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उठा भी लो बोझ जो हवा सा हैं, थमा भी दो दर्द जो दव

उठा भी लो बोझ जो हवा सा हैं, 
थमा भी दो दर्द जो दवा सा हैं| 
ये धूप भी हैं टहनियाँ भिगों रही,
क्यों बारिशों में मन भी ये जला सा हैं| )#change #life #silentHour
#nature
उठा भी लो बोझ जो हवा सा हैं, 
थमा भी दो दर्द जो दवा सा हैं| 
ये धूप भी हैं टहनियाँ भिगों रही,
क्यों बारिशों में मन भी ये जला सा हैं| )#change #life #silentHour
#nature
vinaykumar2652

VINAY KUMAR

New Creator